mohan joshi biography | mohan joshi's life story
About this video- नमस्कार दोस्तों Yaadein Hindi चैनल में आपका स्वागत है। मैं हूँ बबलू कुमार मंडल । ऐसे कई कलाकार हैं, जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में न सिर्फ किसी गॉडफादर के बिना पहचान बनाई, बल्कि गुजारे के लिए हर छोटा-बड़ा काम किया। उन्होंने काम को पूजा और इज्जत दी। भले ही वो वो कलाकार फिल्मों में एक बड़े स्टार नहीं बन पाए, पर चाहनेवालों के लिए वह किसी सुपरस्टार से कम नहीं रहे। वैसे ही एक अभिनेता हैं मोहन जोशी। मोहन जोशी का पूरा नाम मोहन सिरीश जोशी है। जिन्होंने अपनी पहचान एक खलनायक अभिनेता के रूप में बनाई। मोहन जोशी एक भारतीय फिल्म , थिएटर और टेलीविजन अभिनेता हैं। मोहन जोशी का जन्म 12 जुलाई 1953 को बंगलौर कर्नाटक में हुआ था। उनके पिता सेना में थे जिसके चलते वह सपरिवार पुणे शिफ्ट हो गए . मोहन जोशी की पत्नी का नाम ज्योति जोशी है और उनका एक पुत्र है जिनका नाम रोहन जोशी है। मोहन जोशी के 'हरिकृत फिल्मस' को दिए इंटरव्यू के अनुसार ।उनकी पढ़ाई-लिखाई खत्म होने के बाद मोहन जोशी ने अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू किया। मोहन जोशी के पास दो-तीन गाड़ियां थीं, जिन्हें चलाते थे। वह ट्रक भी चलाते थे। लेकिन एक बार उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया, जिसके कारण उन्होंने ट्रांसपोर्ट कंपनी का काम बंद कर दिया। वह कोलकाता, भोपाल और देवास तक गाड़ियां चलाते थे। मोहन जोशी ने बताया था कि जब वह ड्राइवर थे, तो उस वक्त 24 घंटे भी कम पड़ जाते थे। उन्होंने 9 साल तक गाड़ी में माल चढ़ाना, माल उतारने और ले जाने का काम किया। हालांकि मोहन जोशी उस वक्त थिएटर भी करते थे । फिर वे 1987 में मुंबई आकर बस गए। मोहन जोशी के मुताबिक, उन्हें काफी काम मिलता गया और वह रुके नहीं। उसके बाद उन्हें Kuryat Sada Tingalam नामक एक नाटक से पहचान मिली । यह नाटक लोगों ने इतना पसंद किया कि इसे एक हजार से ज्यादा बार दिखाया गया। उन्होंने 8000 से अधिक स्टेज शो और 30 थिएटर नाटकों में प्रदर्शन किया था। उनके कुछ प्रसिद्ध थिएटर नाटक हैं आसु अनी हसु, गोष्ट जन्मंतरीची, कलम 302, मी रेवती देश पांडे, डबल क्रॉस और अरण्यक शामिल है। इसके बाद जोशी ने अपना पहला हिंदी टेलीविजन सीरियल "धनंजय" किया। जो एक जासूसी t v सीरियल थी।बाद में उन्होंने tv serial जमुनिया, "ढूंढ लेगी मंज़िल हमे" , दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ टी वि सीरियल में भी काम किया । इसके के अलावा उन्होंने मराठी टी वी सीरियल में भी काम किया जैसे - 2010 में भैरोबा, 2012 में एका लग्नाची दूसरी गोष्टा और 2016 में कहे दिया परदेस जैसे कई मराठी टीवी धारावाहिकों शामिल है। उन्होंने वर्ष 1983 में मराठी सिनेमा में फिल्म एक दाव भुताचा से कदम रखा था।1993 में सुमिता तलवारकर द्वारा निर्देशित कॉमेडी फिल्म स्वत माजी लडकी उनकी एक काफी सफल फिल्म रही ।1998में आई फिल्म तू टिथे मी में उनके काम के लिए जोशी के काम की सराहना की गई। उनकी पहली हिंदी फ़िल्म भूकंप थी,जिसमे उन्होंने मेन खलनायक गैंगस्टर दया पाटिल का रोल निभाया था।ये फ़िल्म 1993 में रिलीज हुई थी।इसके बाद उन्होंने लगभग 250 से ज्यादा फिल्मो में काम किया , जो अब तक जारी है । उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में खलनायक की भूमिकाओ में अपना योगदान दिया। उनके कुछ उल्लेखनीय फ़िल्म की अगर बात करें तो उन्होंने मृत्युदण्ड, गद्दार ,यशवंत, गर्व-प्राइड एंड ओनर , भाई, हक़ीक़त, मासूम, गुंडाराज,कृष्णा, सलाखें, गंगाजल जैसे अन्य फिल्में शामिल है। और मराठी फिल्मों की यदि बात करें तो उन्होंने 1998 में एक गाड़ी बाकी अनाड़ी, १९९३ में सावत माज़ी लड़की, 1998 में तू दशमांश मी और 1999 में घरबाहेर और लधई जैसी फिल्मो ने काम किया !साथ ही 2017 में, उन्होंने भोजपुरी और गुजराती फिल्म में अभिनय किया जिसमें जनम जनम के साथ, तबादला, हमीर शामिल हैं। ।. उन्हें
हिंदी फिल्म मृत्युदंड (1997) में तिरपत सिंह की भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का स्क्रीन अवार्ड मिला फिर उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1999 की मराठी फिल्म घरबहार के लिए स्पेशल मेंशन के रूप में "एक भ्रष्ट राजनेता के रूप में उनके शानदार नियंत्रित प्रदर्शन के लिए" जीता ! उनको प्रकाश झा की 2003 की हिंदी फिल्म गंगाजल में साधु यादव की खलनायक भूमिका के लिए सराहा गया। यह सामाजिक-राजनीतिक फिल्म 1980 में भागलपुर में हुई भागलपुर अंधा कांड पर आधारित थी ! फिर 16 अक्टूबर 2021 को ज़ी मराठी ने उन्हें बॉलीवुड और मराठी उद्योग में लगभग 50 वर्ष सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए अपने सर्वोच्च पुरस्कार "जीवन गौरव" पुरस्कार से सम्मानित किया।
#biography
#bollywood
Note: This video is based on internet research,magazine, news article and other sources . thus may not be 100% accurate.
Note 1 : "Some contents are used for educational purpose under fair use. Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favour of fair use."
コメント